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जाने क्यों जरूरी है नहाने का सही तरीका अगर आप गलत तरीके से नहा रहे हैं तो आपको इन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है जाने क्या है सही तरीका

भारतवर्ष एक पौराणिक विचारधारा वाला देश है. और सबसे अधिक विचारधाराएं हिंदू धर्म में है जिनकी सर्वाधिक मान्यताएं हैं.  हिंदू धर्म में हर किसी कार्य करने  का एक अलग ही नजरिया है किसी भी व्यापार को शुरुआत करना हो. यह किसी भी चीज का आरंभ करना हो हर चीज का इसमें एक समय और विधि विधान दिया गया है उसी तरीके से हमारे  रोजाना होने वाले कार्य भी कुछ इसमें शामिल है. उनमें से एक है स्नान करना. 

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हिंदू धर्म में स्नान करने का एक पौराणिक तरीका है और उसको कई अलग-अलग तरीकों से जाना जाता है नहाने के तरीके को विभिन्न नामों से जाना जाता है जो इस तरह है मनीष नाम देशना मानव रचना और राक्षस स्नान. हिंदू धर्म में नहाना भी एक विशेष प्रक्रिया है जो आपको अपने शुभ कार्य हुए थे जानना जरूरी है क्योंकि हिंदू धर्म में सभी शुभ कार्य स्नान करने के बाद से ही आरंभ किए जाते हैं साथी स्नान की मान्यताएं अलग-अलग नदियों और देव स्थलों के अनुसार भी हैं.

आइए जानते हैं मनीष नाम क्या है –

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यश नाम प्रातकाल सूर्योदय बेला से कुछ समय पहले किया जाता है अगर हम इसको आधुनिक मानक यंत्रों द्वारा जाने दो 4 से 5  बजे के बीच में के स्नान को मुनि स्नान कहते हैं. इस समय जो व्यक्ति स्नान करता है व कई बीमारियों से दूर रहता है साथी उसके घर में सुख समृद्धि बनी रहती है और बुद्धिमान भी होता है.

आइए जानते हैं  देव स्नान किसे कहते हैं-

देव स्नान या सूर्योदय के समय किया जाता है  आधुनिक मानकों के मुताबिक यह समय 5 से 6 बजे तक होता हैइस समय स्नान करने वाले व्यक्ति कजरी वन बहुत ही खुशहाली से बीता है. समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है सामान मिलता है उसके जीवन में धन की भी कोई कमी नहीं होती है शांति में जीवन और किसी भी चीज का लालच नहीं मन संतुष्ट रहता है.

आइए जानते हैं मानव स्थान किसे कहते हैं-

मानव स्नान सूर्योदय के समय से लेकर आसमान में जब तक लालिमा रहती है उस समय तक होता, आधुनिक मानकों  के मुताबिक समय सुबह 6 से 8 बजे तक होता है. इस समय स्नान करने वाले व्यक्ति श्री देव स्नान की भांति खुशहाली जीवन व्यतीत करते हैं भाग्य उनका साथ देता है परिवार में एकता बनी रहती है और हमेशा अच्छा काम करने की ओर अग्रसर रहते हैं और अपने जीवन से काफी संतुष्ट होते हैं.

 आइए जानते हैं राक्षस स्नान किसे कहते हैं-

राक्षस स्नान प्रात काल में सूर्योदय की बेला के बाद जो लालिमा खत्म हो जाती है जिस समय सूर्य अपना प्रकोप दिखाने लगता है उस समय अगर कोई स्नान करता है तो उस समय को रक्षा से स्नान कहा जाता है इस समय स्नान करने वाले व्यक्ति  के जीवन में खुशियां कम होती हैं परेशानियां अधिक होती हैं दरिद्रता से घिरा रहता है पैसों का अभाव रहता है संपत्ति का भाव रहता है परिवारिक जीवन में कलह होती है. हमेशा दुखों से घिरा रहता है.

अगर आप हिंदू धर्म के अनुयाई हैं और आप इस चीज को मानते हैं  तो आप इस समय के मुताबिक स्नान कर सकते हैं हालांकि आधुनिक जीवन में  लॉग इन बातों पर गौर नहीं करते हैं.  वास्तविकता यही है कि हमारे ऋषि मुनि हमेशा सूर्योदय से पहले स्नान कर लेते थे और हमारे घर में रहने वाले लोग सूर्योदय की बेला तक स्नान कर लेते थे सूर्य की लालिमा छटनी तक कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं होता था जिसने स्थान ना किया हो. आजकल की युवा पीढ़ी मॉडर्न युग के मुताबिक चलती है उनके पास किसी भी चीज के लिए सही समय नहीं होता है इसीलिए वह अधिकतर इन चीजों को अनदेखा करते हैं पर वास्तविकता यही है कि जो लोग ऐसा करते हैं वह अपने दैनिक जीवन में देखें क्या वह इन चीजों से मैच करती हैं अगर ऐसा है तो आपको उन चीजों में बदलाव करना चाहिए धन्यवाद.

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