पद्मश्री कैफी आजमी की 101 वीं जयंती पर GOOGLE ने DOODAL से किया याद

Kaffi Azami पद्मश्री कैफी आजमी की 101 वीं जयंती पर GOOGLE ने DOODAL से किया याद

उत्तर प्रदेश के आजमगढ मे 14 जनवरी 1919 को जन्में कैफी आजमी 11 साल की उम्र में ही उन्होने अपनी पहली कविता लिखी थी । आजमी साहब पढने लिखने के काफी शौकिन थे। कैफी आजमी का असली नाम अख्तर हुसैन रिजवी है जिसे शायद बहुत कम लोग ही जानते होंगे। और ये भी बात शायद कम लोगों को ही पता होगा कि कैफी आजमी भारत की जानी मानी फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी के पिता थे। कैफी आजमी का निधन 10 मई 2002 को मुम्बई मे हो गया।

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कैफी आजमी ने कई किताबें भी लिखी इस कडी मे उनकी पहली किताब थी झंकार जो कि 1943 में छपी थी। इस किताब ने कैफी साहब के जीवन में एक अलग पहचान प्रदान कि और वे प्रभावशाली प्रगतिशील लेखक संघ के सदस्य बन गये । आजमी साहब की कविताओं में महिलाओं का अधिकतर जिक्र मिलता है आजमी साहब अपनी कविताओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण की बात पर जोर देते रहे है। कैफी आजमी साहब ने महिलाओं के विकास के लिए एन जी ओ का भी गठन किया जो महिलाओं को शिक्षित करके अपने पैरों पर खडा करने का काम करती है।

  • कैफी आजमी ने 11 साल की उम्र मे ही अपनी पहली कविता लिखी थी।
  • कैफी आजमी का असली नाम अख्तर हुसैन रिजवी है
  • आजमी साहब को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

 

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आज GOOGLE अपने खास DOODAL से कैफी आजमी साहब को उनकी 101वीं जयंती पर याद कर रहा है इसमे GOOGLE ने कैफी साहब को माइक पर कुछ बोलते हुए दिखाया गया है। कैफी आजमी को 20वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध कवि माना जाता है। उनका योगदान साहित्य के क्षेत्र मे भी काफी रहा है जिसके कारण उनको साहित्य के सर्वोच्च सम्मान साहित्य अकादमी फैलोशिप से भी सम्मानित किया गया है और भारत सरकार ने तो उनको पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया।

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DBAdmin

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