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दक्षिणी चीन सागर समस्या

कोरोना काल दक्षिणी चीन सागर में चीनी गतिविधियां बढ़ जाने के कारण अमेरिका ने चीन को रोकने के लिए अपने 7th फ्लीट को द.चीन सागर में तैनात कर दिया है। अमेरिका की इस कार्यवाही में ऑस्ट्रेलिया उसकी मदद कर रहा है। ज्ञातव्य है कि वर्तमान समय में सम्पूर्ण विश्व कोरोना महामारी से लड़ रहा है और इस वैश्विक संकट काल में भी चीन अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है। द. चीन सागर में प्राकृतिक संपदा का विशाल भंडार है, ऐसा अनुमान है कि इस सागर में कुल लगभग 200 ट्रिलियन डॉलर के आसपास मूल्य की प्राकृतिक संपदा मौजूद है। चीन की नापाक दृष्टि इसी पर लगी है। चीन पहले भी द. चीन सागर पर अपना दावा करता रहा है और अपने द. चीन सागर के पड़ोसियों को परेशान करता रहा है। द. चीन सागर पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए ही चीन ने यहाँ कृत्रिम द्वीप का निर्माण किया है और उस पर अपनी मिलिट्री को भी तैनात किया है। चूकि इस क्षेत्र से व्यावसायिक गतिविधियाँ अधिक होती है और चीन इन गतिविधियों पर ही कंट्रोल करने चाहता है जिससे कि भविष्य में इस क्षेत्र से जाने वाले जहाजों पर कर लगा कर धन पैदा किया जा सके। इसके अतिरिक्त अमेरिका ऐसा मानता है कि वैश्विक महामारी चीन की ही देन है। चीन ने वक्त रहते विश्व से कोरोना की बात छुपाई और सिर्फ अधूरी जानकारी ही उपलब्ध कराई, जिसके कारण आज पूरा विश्व इस महामारी की चपेट में है। इन्ही सब कारणों के चलते अमेरिका ने अपने सबसे खतरनाक जंगी बेड़े को दक्षिणी चीन सागर में तैनाती दी है। इस कारण सम्पूर्ण दक्षिणी चीन सागर में तनाव काफी बढ़ गया है।

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